एड्स एक ऐसी महामारी है जो पूरे देश में फ़ैल चुकी है.इस बीमारी के प्रति लोगो को जागरूक करने के लिए 1995 के बाद से 1 दिसंबर को हर साल पूरो दुनिया में एड्स दिवस के रूप में मानाया जाता है.एड्स दिवस का मतलव पूरे विश्व में लोगो के बीच एचआईबी और एड्स के प्रति जागरूकता लाना है पिछले कई सालो से एचआईवी से संक्रमित लोगो की कमी आने की वजाए बढ़ती जा रही है आपको बता दे की एचआईवी से संक्रमित लोगो की सूची में भारत तीसरे नंबर पर है जो की काफी चिंताजनक है. तीन दशक से ह्यूमन इम्यूनो डेफिशिएंसी वायरस यानी एचआईवी के बारे में जानकारी जुटा रहे हैं. एचआईवी कितना खतरनाक है, इसको हम इससे समझ सकते है कि इन सालों में तीन करोड़ से अधिक लोग एड्स के कारण अपनी जान गंवा चुके हैं.दुनिया भर के डॉक्टर आइये इसके बारे में पूरी जानकारी जानते है. की आखिर एड्स दिवस की शुरुआत कैसे हुयी थी. और एड्स दिवस क्यों मनाया जाता है.
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एड्स का वायरस कैसे मिला
माना जाता है. की एचआईवी सबसे पहले 19वि सदी की शुरुआत में जानवरो में देखा गया था.वैज्ञानिको के अनुसार एचआईवी चीमेंजी वायरस का परिवर्तित है.यह सिमीयन इम्युनोडिफिसिएंसी वायरस के नाम से भी जाना जाता है. जो की चिम्पेंजी बंदरो में पाया जाता है.कहा जाता है, की अफ्रीका के लोग बन्दर को खााते थे. जिससे अनुमान लगाया जाता है, की बन्दर को खाने से ये वायरस इंसान के शरीर में भी प्रवेश क्र गया होगा। सबसे पहले 1920 में यह बीमारी अफ्रीका के कांगो की राजधानी किंसास में फैली थी। 1959 में कांगो के एक बीमार आदमी के खून के नमूने में सबसे पहले HIV वायरस मिला था। माना जाता है कि वह पहला HIV संक्रमित व्यक्ति था। किंशास उस समय सेक्स ट्रेड का गढ़ था। इस तरह सेक्स ट्रेड और अन्य माध्यमों से यह बीमारी अन्य देशों में पहुंची।
एड्स दिवस की शुरुआत कब से हुई
एड्स दिवस की शुरुआत 1995 में सयुंक्त राष्ट्र अमेरिका के राष्ट्रपति विलियम क्विंटन ने की थी.जिस्नका अनुशरण पूरी दुनिया में किया गया. एड्स दिवस पर कई प्रकार के उतसव और जागरूकता प्रोग्राम भी लिए जाते है.जिसका उद्येश्य एचआईवी एड्स से ग्रसित लोगो की मदद करने के लिए धन जुटाना।और लोगो को एड्स रोकने के लिए जागरुकता फैलाना और एड्स से जुड़े मिथ को दूर करना या जड़ से खत्म करना होता है. इस दिन कई समुदाय के लोग मिलजुल कर कुछ मीटिंग करते है और साथ अपने आस पास के स्थानीय अस्पताल,क्लिनिक एजेंसियों।से अपना जागरूकता अभियान शुरू करते है.
एड्स दिवस का उदेस्य
हर साल 1 दिसंबर को एड्स दिवस मनाया जाता है.जिसका मुख्या उदेस्य लोगो को एड्स के प्रति जागरूक करना है. जागरूकता के लिए लोगो को एड्स से बचने और लक्षण,उपचार के बारे में मिख्याता जानकारी दी जाती है. जिससे लोग एड्स के प्रति जागरूक हो सके और इससे बचने की कोशिस करे. आज भारत में एड्स की ही वजह से कई लोगो की मृत्यु हो जाती है.कई लोग समझते हैं कि एड्स पीड़ित व्यक्ति के साथ खाने, पीने, उठने, बैठने से एड्स हो जाता है। जो कि पूरी तरह गलत है. बल्कि एड्स शरीर में किसी भी लिक्विड एक्सचेंज जैसे – खून, स्पर्म, सैलाइवा आदि से फैलता है.
एड्स कैसे होता है
एड्स (इम्यून डेफिसिएंसी सिंड्रोम या एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिसिएंसी सिंड्रोम) HIV एचआईवी (ह्यूमन इम्यूनो वायरस) के संक्रमण की वजह से होता है. जो की मानव शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली पर हमला करता है.एड्स आज पूरी दुनिया में महामारी की तरह फैला हुआ है. जिस के कारण पुरुष महिलाये ही नहीं बल्कि बच्चे भी इससे प्रभाबित हो रहे है. यह मानव शरीर के तरल पदार्थों जैसे संक्रमित व्यक्ति के रक्त, वीर्य, स्तन के दूध आदि में पाया जाता है.एड्स का वायरस दूसरो से सीधे बिना सुरक्षा के संपर्क में आने के दौरान बहुत आसानी से हो सकता है.असुरक्षित योंन सम्बन्ध बनाने, ब्लड ट्रांसफ्यूजन के दौरान एचआईवी संक्रमित खून चढ़ाने या फिर दूषित सुई से इंजेक्शन लगाने से एड्स फैल सकता है.
उम्मीद करता हूँ की आपको एड्स के बारी में उचित जानकारी प्राप्त हो गयी होगी आपको एड्स के बारे में जानकारी कैसी लगि हमे कमेंट करके जरूर बताये।